चुनकर आने वाले काम नहीं करते तो उन्हें बदलना चाहिए – शिवराज पाटील

बृजेंद्र नाथ , दिल्ली
7 नवंबर 2022

लोकसभा के पूर्व स्पीकर शिवराज पाटिल ने नेशनल लेजिस्लेटर्स कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि इस कांफ्रेंस का उद्देश्य चुने हुए स्पीकर को ट्रेनिंग देना है. यह एक नया प्रयोग है. इस पर काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि संविधान कि अपनी ताकत है. हम अपने मत से लोगों को चुनते हैं. लेकिन अगर यह चुने हुए प्रतिनिधि चुने जाने के बाद कार्य नहीं करते हैं तो उन्हें बदलना चाहिए. नेशनल लेजिस्लेटर कॉन्फ्रेंस का आयोजन दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में किया गया. जहां पर देश के एक दर्जन से भी अधिक राज्यों के स्पीकर और पूर्व स्पीकर ने हिस्सा लिया. इसका आयोजन MIT पुणे के कॉलेज ऑफ गवर्नमेंट की ओर से आयोजित किया गया था.

इस अवसर पर लोकसभा की पूर्व स्पीकर श्रीमती मीरा कुमार ने कहा कि संसदीय प्रणाली में भारत की बहुत इज्जत है. देश को यह प्रतिष्ठा उस आंदोलन से मिली है. जिससे देश का पुनर्जन्म हुआ है. हम अपने विधायक और सांसद चुनते हैं. ऐसे में सांसद और विधायकों की भूमिका काफी अहम हो जाती है. उन्हें यह देखने की जरूरत है कि संविधान में जो अधिकार मिले हैं. वह सभी को प्राप्त हो रहे हैं या नहीं हो रहे हैं. ऐसे में नेशनल लेजिस्लेटर्स कॉन्फ्रेंस एक अहम पड़ाव हो सकता है. इसे एक बेहतर दिशा में ले जाने के लिए कार्य करना होगा.

लोकसभा के पूर्व स्पीकर श्रीमती सुमित्रा महाजन ने कहा कि राहुल कराड ने 20 वर्ष पहले एक सपना देखा था. उन्होंने यह सोचा कि संविधान को हम कितना जानते हैं. यह समझने की जरूरत है. देश पिछड़ा हुआ है. इसके लिए विधानसभाओं और संसद को मिलकर कार्य करना होगा. इसके लिए लोकसभा से अलग ऐसी कोई संस्था बनानी चाहिए. जो सभी को साथ लेकर कार्य कर पाए. सभी को साथ आकर सोचना होगा. सभी को मिलकर कार्य करना होगा. जिससे प्रदेश और देश का विकास एक साथ हो पाए. उसी परिकल्पना को नेशनल लेजिस्लेटर्स कांफ्रेंस के माध्यम से एक रूप दिया गया है.

नेशनल लेजिस्लेटर्स कॉन्फ्रेंस की रूपरेखा तय करने के लिए कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में राउंड टेबल डिस्कशन आयोजित किया गया. यह संगोष्ठी इस मामले में ऐतिहासिक थी की पहली बार विभिन्न दलों के नेता एक मंच पर ऐसे किसी मुद्दे पर फ्रेमवर्क या रूपरेखा बनाने के लिए एकत्रित हुए. जो आने वाले समय में लेजिस्लेटर्स के लिए एक महत्वपूर्ण विषय बनने वाला है. लोकसभा की पूर्व स्पीकर श्रीमती सुमित्रा महाजन , श्रीमती मीरा कुमार और श्री शिवराज पाटील इस नेशनल लेजिस्लेटर्स कॉन्फ्रेंस के संरक्षक हैं. उन्होंने इस राउंड टेबल संगोष्ठी में हिस्सा लेते हुए इसके महत्वपूर्ण बिंदुओं को सामने रखा. यह संगोष्ठी 16 से 18 जून 2023 के बीच मुंबई महाराष्ट्र में आयोजित की जाने वाली है. लोकसभा के पूर्व अध्यक्षों ने कहा कि आने वाला नेशनल लेजिस्लेटर कॉन्फ्रेंस लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा. यह कॉन्फ्रेंस एक ताकतवर फोरम के रूप में सामने आएगा. जो कुशल प्रशासन को लेकर लोगों के सामने उदाहरण बनेगा. यह प्रधानमंत्री के के मंत्र रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफार्म को भी साकार करेगा. यह देश भर के विधायकों या लेजिस्लेटर्स के सामने एक ऐसा मंच प्रस्तुत करेगा. जहां वह आकर अपनी बेस्ट प्रैक्टिस को एक दूसरे के साथ साझा करेंगे. इसके अलावा एक दूसरे के बेहतर कार्यों से प्रेरित होने व सीखने का भी कार्य करेंगे. यह लोकतंत्र की इस मूल भावना को भी मजबूत करेगा.

इस कॉन्फ्रेंस में विभिन्न राज्यों के 15 से अधिक स्पीकर और चेयरपर्सन ने हिस्सा लिया. इनमें महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश , पश्चिम बंगाल, राजस्थान, बिहार और हरियाणा राज्य शामिल है. इसमें लोकसभा और राज्यसभा के पूर्व महासचिवों के अलावा कई अन्य वरिष्ठ नौकरशाह और एक्सपर्ट ने भी राष्ट्र निर्माण और कुशल प्रशासन को लेकर अपने अनुभव साझा किये. नेशनल लेजिस्लेटर कॉन्फ्रेंस को कई संस्थाएं मिलकर आयोजित कर रही हैं. इनमें विधायी क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्थाओं के अलावा गैर सरकारी संस्थान और सामाजिक संगठन शामिल हैं. इन्हें एमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट पुणे का सक्रिय सहयोग हासिल हो रहा है. नेशनल लेजिस्लेटर कॉन्फ्रेंस ” कॉमनवेल्थ पार्लिमेंट एसोसिएशन, इंटर पार्लियामेंट्री यूनियन और यूनेस्को ” से भी इसके आयोजन के लिए सहयोग की आकांक्षा कर रही है. विभिन्न दलों से संबंध रखने वाले लगभग 4000 से अधिक प्रतिनिधि इसमें हिस्सा लेंगे. ऐसी आशा है. नेशनल लेजिस्लेटर कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य नेतृत्व में गुणात्मक परिवर्तन लाकर भारतीय लोकतंत्र को विश्व में अग्रणी बनाना है. जिससे कुशल प्रशासन देने के साथ ही विश्वव्यापी शांति स्थापित करने में भी लेजिस्लेटर्स अपनी भूमिका निभा पाए. यह एक सौहार्दपूर्ण- सहयोगात्मक इकोसिस्टम स्थापित करने पर भी जोर देगा. जहां विभिन्न विचारधाराओं से आने वाले नेता सामान्य हितों के लिए और विकास जैसे मुद्दों पर मिलकर कार्य करने को लेकर अपने विचार रखेंगे. इसके माध्यम से राष्ट्रीयता की भावना को जागृत करने, पारदर्शी नेतृत्व प्रदान करने के साथ ही कुशल प्रशासन देने में गुणवत्ता का विकास करना भी एक उद्देश्य है. इस कांफ्रेंस के माध्यम से ऐसा मॉडल प्रस्तुत करने का प्रयास किया जा रहा है. जो वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान को कायम कर पाए.

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