देश के आयोजित होने वाले जी—20 सम्मेलन को लेकर नई दिल्ली नगर पालिका परिषद ( NDMC ) ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी है. उसने एनडीएमसी क्षेत्र की ऐसी एक दर्जन सड़कों को फिर से बनाने का निर्णय किया है. जहां से जी—20 सम्मेलन के दौरान विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों के आने—जाने का कार्यक्रम प्रस्तावित है.
एनडीएमसी ने जिन एक दर्जन सड़कों को फिर से बनाने और उनको पूरी तरह से गडडा मुक्त करने का निर्णय किया है. उनमें जंतर मंतर रोडद्व गुरूद्धारा रकाबगंज रोड, न्यू आरके आश्रम रोड, रायसीना रोड, महादेव रोड, उदयान मार्ग, पार्लियामेंट स्ट्रीट रोड, रेड क्रॉस रोड, बंगला साहिब रोड, भाई वीर सिंह मार्ग, मदर टेरेसा क्रिसेंट रोड और ओल्ड आरके आश्रम मार्ग शामिल हैं.
एनडीएमसी के उपाध्यक्ष सतीश उपाध्याय, सदस्य कुलचीत चहल और विशाखा सैलानी ने कहा कि इन सड़कों को फिर से बनाने के लिए सीआरआरआई , केंद्रीय सड़क अनुंसाधन संस्थान से सर्वे कराया गया था. जिसके उपरांत यह निर्णय किया गया है. इसके अलावा कनॉट प्लेस से लेकर इंडिया गेट तक सीवर लाइन बदलने , जलापूर्ति की योजना अगले 25 साल को ध्यान में रखकर बनाने और सफाईकर्मियों के बच्चों को उच्च शिक्षा में मदद करने का निर्णय भी किया गया है.
]]>दिल्ली नगर निगम में आम आदमी पार्टी की जीत के बाद केंद्र सरकार और आम आदमी पार्टी के बीच दिल्ली में एक नई जंग शुरू होती दिख रही है. दिल्ली सरकार हमेशा यह आरोप लगाती रही है कि केंद्र सरकार उसे दिल्ली में काम नहीं करने देती है. उसके काम में किसी ना किसी तरह से बाधा उत्पन्न की जाती है. इसकी वजह यह है कि दिल्ली के उपराज्यपाल केंद्र सरकार को रिपोर्ट करते हैं. दिल्ली नगर निगम चुनाव में जीत के बाद आम आदमी पार्टी की यह शिकायत आने वाले दिनों में और बढ़ सकती है. इसकी वजह यह है कि दिल्ली नगर निगम पर प्रत्यक्ष रूप से केंद्रीय गृह मंत्रालय का नियंत्रण है. उसका समस्त बजट केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से ही स्वीकृत किया जाता है. ऐसे में यह माना जा रहा है कि दोनों दलों के बीच आने वाले दिनों में खींचतान और बढ़ेगी. जिससे दिल्ली का राजनीतिक पारा लगातार गर्म रहेगा.
यह संभव है कि दिल्ली की सफाई व्यवस्था को लेकर ही आने वाले दिनों में दोनों दलों के बीच पहली लड़ाई शुरू हो. आम आदमी पार्टी की ओर से यह आरोप लगाया जा सकता है कि दिल्ली में कूड़े के पहाड़ कम करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से उसे पैसे नहीं दिए जा रहे हैं. दोनों दलों के बीच राजनीतिक लड़ाई आने वाले दिनों में दिल्ली नगर निगम के विभिन्न जोन में भी देखने को मिल सकती है. इसकी वजह यह है कि दोनों दोनों को हासिल सीटों के बीच बहुत बड़ा अंतर नहीं है. दोनों दलों के बीच केवल 20 सीटों का अंतर है. ऐसे में दिल्ली नगर निगम के विभिन्न जोन में चेयरमैन बनाने को लेकर दोनों दलों के बीच नजदीकी लड़ाई रहेगी. भाजपा ने कहा है कि उसे भले कम सीट मिली है. लेकिन वह विभिन्न जोन में अपना चेयरमैन बनाने के अलावा अपना मेयर बनाने का प्रयास करेगी. इस पर आम आदमी पार्टी ने कहा है कि भाजपा यहां भी ऑपरेशन कमल करना चाहती है. लेकिन जिस तरह से उसे दिल्ली सरकार को गिराने में असफलता हासिल हुई है.उसी तरह से उसे दिल्ली में अपना मेयर बनाने में भी किसी तरह की सफलता नहीं मिलेगी. इसकी वजह यह है कि आम आदमी पार्टी का एक भी पार्षद भाजपा खरीद नहीं पाएगी.
यह कहा जा रहा है कि नगर निगम में हार के बाद भाजपा निगम के सदन में लगातार हंगामा करते हुए अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का प्रयास करेगी. इसकी वजह यह है कि हार के साथ ही वह दिल्ली विधानसभा चुनाव की पटकथा पर भी काम शुरू करेगी. इसके लिए भाजपा नेतृत्व से जीते हुए पार्षदों को निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं. भाजपा के एक नेता ने कहा कि आम आदमी पार्टी निगम में आने के बाद यह नहीं कह सकती है कि उसके पास सफाई और अन्य स्थानीय काम के लिए अधिकार नहीं है. हमें उम्मीद है कि जनता के सामने जल्द ही आम आदमी पार्टी की नाकामयाबी आएगी. जिसका लाभ भाजपा को दिल्ली विधानसभा चुनाव में होगा. भाजपा का हर कार्यकर्ता जमीन पर उतरकर संघर्ष करेगा. यह काम अगले कुछ दिनों में ही शुरू कर दिया जाएगा.
]]>दिल्ली में प्रदूषण की समस्या बढ़ने और यहां की हवा के खतरनाक स्तर पर पहुंचने की वजह से दिल्ली में विशेष कंसट्रक्शन प्रोजेक्ट छोड़कर सभी तरह के निर्माण कार्य बंद कर दिए गए हैं. इससे दिल्ली में लाखों मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. उनके सामने रोजी—रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है. इसे देखते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को बड़ा ऐलान किया. उन्होंने कहा कि दिल्ली में कंसट्रक्शन कार्य पर रोक की वजह से बेरोजगार हुए सभी मजदूरो को प्रति महीने दिल्ली सरकार की ओर से पांच हजार रूपये महीना की सहायता राशि उपलब्ध कराई जाएगी.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसको लेकर जानकारी देते हुए कहा कि उन्होंने दिल्ली के उप—मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, जो दिल्ली के श्रम मंत्री भी हैं, को इसको लेकर निर्देश दिए हैं. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने मनीष सिसोदिया को कहा है कि मजदूरों को प्रतिबंध लगे रहने तक हर महीने पांच हजार रूपये की सहायता दी जाए. इससे पहले लॉकडाउन के दौरान अरविंद केजरीवाल दिल्ली के आटॅो चालकों के लिए भी इसी तरह की सहायता राशि से जुड़ी योजना चला चुके हैं.
दिल्ली का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआई) लगातार बढ़ने और इससे उत्पन्न होने वाले खतरे को देखते हुए चार दिन पहले वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने कुछ परियोजनाओं को छोड़कर समस्त दिल्ली-NCR में निर्माण और तोड़फोड़ की गतिविधियों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. वायु गुणवत्ता में गिरावट को रोकने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के तीसरे चरण के कार्यान्वयन को तत्काल प्रभाव से लागू करने का निर्देश दिया गया है. इसमें निर्माण कार्यो पर प्रतिबंध लगाया जाता है. अधिकारियों को रेलवे, मेट्रो, हवाई अड्डे, आईएसबीटी, राष्ट्रीय सुरक्षा / राष्ट्रीय महत्व की रक्षा से संबंधित जरूरी परियोजनाओं को छोड़कर एनसीआर में निर्माण और तोड़फोड़ गतिविधियों पर तुरंत रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं. इसके लिए उनको औचक निरीक्षण दल बनाने का भी निर्देश दिया गया है.
]]>केंद्रीय भूतल परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को वाहन निर्माता कंपनियों को कहा कि वह छोटी कार चलाने वालों के जीवन को लेकर भी कुछ सोचने का कार्य करें. उन्होंने कहा कि छोटी कारों में भी सुरक्षा के अंतरराष्ट्रीय मानक अपनाए जाने चाहिए. उन्होंने कहा कि जब भारत से सभी वाहन 6 एयर बैग के साथ निर्यात किए जाते हैं. ऐसे में घरेलू बाजार में इस तरह की सुविधा देने को लेकर उनके बीच संकोच क्यों हैं. उन्होंने कहा कि छोटी कार चलाने वालों का जीवन सुरक्षित करने के लिए वह कार निर्माता कंपनियों से सहयोग की अपेक्षा रखते हैं. गडकरी ने यह भी कहा कि अक्टूबर से 8 सीट वाली कार में 6 एयर बैग देने अनिवार्य होंगे. उन्होंने कहा कि भारत में हर साल 5 लाख सड़क घटनाओं में डेढ़ लाख लोगों की मौत हो जाती है. अगर प्रतिदिन का औसत निकाला जाए तो यह 426 मौत प्रतिदिन या 18 मौत प्रति घंटे होती है. इसे रोकने के लिए वाहन निर्माता कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के सुरक्षा मानक अपनाने चाहिए. वाहन कलपुर्जे बनाने वाली कंपनियों की संस्था एकमा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि विशेषकर छोटी कार को लेकर विशेष कदम उठाने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि पुराने वाहन को स्क्रैप कराने वाले लोगों को विशेष रियायत देने की भी जरूरत है. अगर कोई बस या ट्रक स्क्रैप कराता है. उसे ₹50,000 से लेकर ₹1 लाख तक की छूट दी जा सकती है. इसी तरह से छोटे वाहनों के लिए भी विशेष छूट देनी चाहिए. इसकी वजह यह है कि इससे वाहन निर्माता कंपनियों को ही लाभ होगा. पुरानी गाड़ी स्क्रैप कराने वाला नई गाड़ी खरीदेगा. उन्होंने कहा कि स्टील मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से इस तरह की छूट देने वाले वाहन कंपनियों को जीएसटी में रियायत देने की भी अपील की है. उन्होंने कहा कि एक पुराना ट्रक कई नई गाड़ियों के बराबर प्रदूषण फैलाता है. पुरानी गाड़ियों के स्क्रैप होने से प्रदूषण पर भी प्रभावी रोक लगेगी. जबकि उनके कलपुर्जे का उपयोग अन्य गाड़ियों की मरम्मत या निर्माण में किया जा सकता है.
एक अन्य कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नितिन गडकरी ने कहा कि देश में इलेक्ट्रिक आधारित सार्वजनिक वाहनों को बड़े स्तर पर चलाने की जरूरत है. जिससे निजी वाहनों को सड़क से हटाने में सहायता हासिल हो. उन्होंने कहा कि इसके लिए लंदन ट्रांसपोर्ट मॉडल एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है. उन्होंने कहा कि बस में व्यक्तिगत तरीके से टिकट लेने की जगह क्यूआर कोड या ऑनलाइन पेमेंट की व्यवस्था की जाए. इससे सार्वजनिक बस चलाने में निजी कंपनियों का घाटा कम होगा. जिससे वह निजी बस संचालन में आगे आएंगे. गडकरी ने कहा कि सार्वजनिक परिवहन सेवा में निजी सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ाए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि दिल्ली – जयपुर के बीच इलेक्ट्रिक मार्ग या E-way बनाने की योजना पर भी कार्य चल रहा है. जिससे दिल्ली से जयपुर के बीच की वाहन बिना किसी बाधा के आ जा सके.
]]>दिल्ली की नई आबकारी नीति को लेकर भाजपा – आम आदमी पार्टी लगातार एक दूसरे पर हमलावर बनी हुई है. भाजपा ने सोमवार को जहां मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर पर प्रदर्शन कर उनके इस्तीफा की मांग की. वहीं, दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भाजपा पर एक बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि उनको भाजपा की ओर से संदेश आया था. उन्हें दिल्ली में एकनाथ शिंदे मॉडल से मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव दिया गया है. लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया. उनके इस दावे पर भाजपा ने पलटवार किया. उसने कहा कि अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया कट्टर भ्रष्टाचारी हैं. उनको भाजपा चिमटे से भी नहीं छूएगी. इससे एक दिन पहले सिसोदिया ने उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी होने का दावा भी किया था. जिसे भाजपा और सीबीआई ने नकार दिया था.
मनीष सिसोदिया ने भाजपा की ओर से संदेश आने की जानकारी देते हुए कहा कि मेरे पास भाजपा का संदेश आया है. आप छोड़कर भाजपा में आ जाओ. सारे सीबीआई – ईडी के केस बंद करवा देंगे. मेरा भाजपा को जवाब. मैं महाराणा प्रताप का वंशज हूं. राजपूत हूं. सर कटा लूंगा. लेकिन भ्रष्टाचारियों- षड्यंत्रकारियों के सामने नहीं झुकूंगा. मेरे खिलाफ सारे केस झूठे हैं. जो करना है. कर लो. सिसोदिया ने कहा कि भाजपा के पास दिल्ली में कोई चेहरा नहीं है. यही वजह है कि उसने दिल्ली में भी एकनाथ शिंदे मॉडल से अपनी सरकार बनाने की योजना बनाई है. लेकिन भाजपा नहीं जानती है कि अरविंद केजरीवाल का हर कार्यकर्ता मर सकता है. लेकिन गद्दारी नहीं कर सकता है.
मनीष सिसोदिया ने कहा कि भाजपा केजरीवाल की बढ़ती लोकप्रियता से घबराई हुई है. दिल्ली और पंजाब के बाद गुजरात में भी आम आदमी पार्टी चुनाव जीतने वाली है. वहां की जनता जिस तरह से अपना समर्थन हमें दे रही है. उसे देखते हुए यह केजरीवाल को रोकने की रणनीति है. आबकारी नीति एक बहाना है. जिस मामले में हमने ही सीबीआई जांच की मांग की है. उसमें हमें ही फसाने का कार्य किया जा रहा है. जनता भाजपा की चाल और चरित्र समझ गई है. भाजपा चाहे तो मुझे जेल में डाल दे. लेकिन हमारी लड़ाई रुकेगी नहीं. गुजरात में भाजपा के 27 साल के कुशासन को हम खत्म करेंगे. इसके लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ मैं भी गुजरात जा रहा हूं.
सीबीआई ने इससे पहले सिसोदिया के घर पर दबिश दी थी. यह छापा आबकारी नीति 2021- 22 में कथित अनियमितताओं की जांच के सिलसिले में डाला गया था. करीब 11 घंटे की जांच के बाद सीबीआई ने FIR दर्ज करते हुए 15 लोगों को नामजद किया है. इस FIR में मनीष सिसोदिया को आरोपी नंबर 1 बनाया गया है. इस एफआईआर के बाद सिसोदिया ने एक ट्वीट किया था. जिसमें उन्होंने लिखा था कि आपके सभी छापे विफल हो गए हैं. कुछ भी नहीं मिला. एक पैसे की भी हेराफेरी नहीं हुई. अब आपने लुकआउट नोटिस जारी किया है. इसमें कहा गया है कि मनीष सिसोदिया नहीं मिल रहे हैं. यह क्या नाटक है. मैं दिल्ली में खुलेआम घूम रहा हूं. मुझे बताओ कि मुझे कहां आना है. क्या आप मुझे ढूंढ नहीं पा रहे हैं.
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देश और दुनिया में योग तथा आयुर्वेद को पहचान दिलाने के बाद योग गुरु बाबा रामदेव देश के अग्रणी कारोबारी बनने की दिशा में भी बढ़ रहे हैं. पतंजलि फूड्स का मार्केट कैप 50000 करोड रुपए तक पहुंचाने के उपरांत बाबा रामदेव ने अगले 5 साल में चार नई कंपनियों को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराने का ऐलान किया है. यह कंपनियां पतंजलि आयुर्वेद, पतंजलि वैलनेस, पतंजलि मेडिसिन और पतंजलि लाइफस्टाइल होंगी. बाबा रामदेव ने कहा कि पतंजलि फूड्स का कारोबार अगले 5 साल में एक लाख करोड़ रुपए के करीब होगा. इसके अलावा जो 4 नई कंपनियां शेयर बाजार में सूचीबद्ध की जा रही है. उन कंपनियों का कारोबार भी एक लाख करोड़ रुपए प्रति कंपनी का लक्ष्य रखा गया है. इस तरह से अगले 5- 7 साल में पतंजलि समूह की कंपनियों का टर्नओवर 5 लाख करोड़ रुपए होगा. उन्होंने कहा कि पतंजलि अगले 5-7 साल में 5 लाख प्रत्यक्ष रोजगार भी देगी.
पाम ऑयल- शिक्षा और वैलनेस
बाबा रामदेव ने कहा कि पतंजलि अगले कुछ सालों में 15 लाख एकड़ भूमि पर पाम ऑयल के पेड़ लगाएगी. इससे अगले 40 वर्ष तक प्रति वर्ष 2000 करोड़ रुपए की आय का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंने कहा कि इससे देश में खाद्य तेल में विदेशी निर्भरता को भी कम किया जा सकेगा. इस समय खाद्य तेल बड़ी मात्रा में आयात किया जाता है. उनकी परियोजना के क्रियान्वित होने से खाद्य तेलों का आयात कम होगा. जिससे विदेशी मुद्रा भी बचेगी. उन्होंने इसके साथ ही अगले 5 साल में देश के अंदर एक लाख पतंजलि विद्यालय बनाने का भी ऐलान किया. उन्होंने कहा कि इसके लिए शिक्षा बोर्डों से मान्यता भी हासिल की जाएगी. बाबा रामदेव ने एक बार फिर एलोपैथी पर हमला करते हुए कहा कि इसके माध्यम से केवल किसी रोग पर तात्कालिक रोक लगाई जा सकती है. लेकिन किसी भी रोग को जड़ से आयुर्वेद ही खत्म कर सकता है. अगर सर्जरी की बात छोड़ दी जाए तो 98% रोगों पर आयुर्वेद प्रभावी है. उन्होंने और पतंजलि ने इसे साबित करके दिखाया है. उन्होंने कहा कि भले ही एलोपैथी माफिया उनके खिलाफ तमाम तरह के प्रपंच करे. लेकिन आयुर्वेद और योग को निरोगता का विकल्प बनाने का उनका अभियान जारी रहेगा. वह अगले 5-7 साल में 1 लाख वैलनेस सेंटर खोलेंगे.
झूठा प्रचार , घिनौना षड्यंत्र
बाबा रामदेव ने कहा कि कुछ लोग , समूह और राजनीतिक दल उनसे व्यक्तिगत ईर्ष्या रखते हैं. वह इस बात को हजम नहीं कर पा रहे हैं कि एक अनपढ़ माता-पिता का सरकारी स्कूल और गुरुकुल में पढ़ने वाला रामदेव इतनी बड़ी कंपनियों का संचालन कैसे करने लगा है. इस वजह से कभी उनके तो कभी पतंजलि समूह के उत्पाद को लेकर घिनौने षड्यंत्र -झूठे प्रचार किए जाते हैं. वह पहले इस तरह के प्रचार पर ध्यान नहीं देते थे. लेकिन इस बार झूठा प्रचार करने वाले करीब 100 लोगों के खिलाफ कानूनी नोटिस जारी किए गए हैं. बाबा रामदेव ने कहा कि उत्तराखंड घनसाली में पतंजलि घी के खिलाफ एक षड्यंत्र हुआ. जिसमें इसे फेल करार दिया गया. जबकि पतंजलि का घी ऑस्ट्रेलिया के मानक पर खरा पाया गया. आखिर यह कैसे हुआ. उन्होंने कहा कि घनसाली उत्तराखंड में कुछ अधिकारियों ने उनके घी को फेल कर दिया. जब उन्होंने इसकी शिकायत की तो घी की जांच गाजियाबाद की सरकारी लैब में की गई. जहां यह पास हो गया. जिससे यह साफ है कि कुछ खास अधिकारियों ने कुछ खास लोगों से मिलीभगत कर पतंजलि घी के खिलाफ षड्यंत्र किया था. इसमें किसी सरकार या सत्ताधारी पार्टी का हाथ नहीं था. उन्होंने कहा कि सरकार घी को लेकर केवल कुछ ही टेस्ट करती है. लेकिन पतंजलि अपने घी को लेकर 75 तरह के मानक पर जांच करती है. ऐसे में पतंजलि घी में कोई गड़बड़ी हो ही नहीं सकती है. उन्होंने कहा कि न केवल घी बल्कि कभी एलोवेरा तो कभी हमारे आंवला उत्पाद को लेकर भी झूठा प्रचार और षड्यंत्र किया जाता रहा है. लेकिन इसके बावजूद पतंजलि लगातार बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि उनसे नफरत रखने वाले लोगों ने तो यहां तक कहा कि बाबा ने विदेश में जाकर अपने घुटनों और पेट की आंत का ऑपरेशन करा लिया है. जबकि वह सभी को योग से ठीक करने का दावा करते हैं. इसी तरह से यह दुष्प्रचार भी किया गया कि बाबा रामदेव ने बाईपास सर्जरी कराई है. लेकिन झूठ बहुत दिन तक जिंदा नहीं रहता है. वह लगातार टीवी चैनल पर योग कर रहे हैं. जिससे उनके स्वास्थ्य की जानकारी स्वयं सार्वजनिक हो रही है. उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ दवा माफिया, खाद्य माफिया और कई अन्य लोग सक्रिय हैं. लेकिन उन्होंने पिछले 50 साल में कभी भी प्रकृति के विधान और देश के संविधान का उल्लंघन नहीं किया है. यही वजह है कि उनका योग और पतंजलि के उत्पाद लगातार बढ़ रहे हैं. वह दुनिया के 80% आबादी को योग से ठीक करने के अपने लक्ष्य की दिशा में लगातार बढ़ते रहेंगे.
लंपी – काला धन
देश में जानवरों के बीच फैल रही लंपी बीमारी को लेकर उन्होंने कहा कि पतंजलि इस पर कार्य कर रहा है. जब भी इसका निदान मिलेगा. उसे पतंजलि सार्वजनिक करेगा. उन्होंने कहा कि इस बीमारी के बीच भी हमने अपनी एक भी गाय को इससे मरने नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि जब कोरोना से लड़ने के लिए पतंजलि ने कोरोनील बनाई थी. उस समय भी पतंजलि पर लोगों ने सवाल उठाए थे. देश में काला धन वापस लाने के अपने अभियान को लेकर योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा कि उन्होंने एक मुद्दा उठाया था. इसके लिए वर्ष 2009 से 2013 तक उन्होंने लगातार संघर्ष किया. जिसकी वजह से उस समय सत्ता में बैठे कुछ लोग उनके खिलाफ हो गए थे. उन्होंने इस मुद्दे पर अपना काम कर दिया है और इसे मुल्क के निजाम पर छोड़ दिया है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिए बगैर कहा कि देश में कई तरह के विकास कार्य हो रहे हैं. कई मोर्चों पर बेहतर कार्य किया जा रहा है. ऐसे में वह स्वयं राजनीतिक मुद्दों से दूर रहकर पतंजलि के विस्तार कार्य करने में जुटे हुए हैं. उनका पहला और अंतिम लक्ष्य देश में लोगों को निरोग रखना और योग का विस्तार करना है. जिसके माध्यम से कई तरह की बीमारी को खत्म किया जा सकता है.
]]>जेल में बंद सपा नेता आजम खान के समर्थन में बसपा सुप्रीमों मायावती ने एक टवीट किया है. इसमें उन्होंने कहा है कि उनको दो साल से जेल में बंद रखना न्याय का गला घोंटने की तरह है. मायावती ने एक के बाद एक तीन टवीट कर भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा. हालांकि मायावती ने भाजपा सरकार पर हमला किया है. लेकिन सपा के नेताओं का मानना है कि उनके टवीट में जो नजर आता है. उनके टवीट का लक्ष्य इसके विपरीत है. सपा नेताओं का मानना है कि मायावती यह प्रयास कर रही हैं कि आजम खान के बहाने वह मुसलमानों को सपा से दूर कर पाएं. इसमें उनको परोक्ष रूप से भाजपा का समर्थन मिल रहा है. इन दिनों आजम खान के परिजन और समर्थक सपा से नाराज हैं. उनका कहना है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उनको जेल से छुड़ाने के लिए केाई भी बड़ा आंदोलन नहीं चलाया. जबकि आजम खान ने सपा को खड़ा करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ पार्टी को दिया है.
मायावती ने अपने एक के बाद एक टवीट में भाजपा सरकार की ओर से विभ्न्नि राज्यों में चलाए जा रहे बुलडोजर अभियान को गरीब, प्रवासी, मजदूर विरोधी करार दिया. उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा भी कांग्रेस की तरह ही गरीबों, दलितों, आदिवासियों, मुस्लिमों पर जुल्म कर रही है. उन्होंने कहा कि इसका प्रमाण आजम खान जैसे वरिष्ठ नेता को दो साल से जेल में रखना है. यह लोगों को न्याय का गला घोंटने जैसा लग रहा है. उनके इन टवीट से उप्र सहित दिल्ली की राजनीति में भी नया समीकरण बनने की संभावना बढ़ गई है. लेकिन रोचक यह है कि सपा ने उनके इस टवीट को भाजपा की शह पर किया गया कार्य करार दिया है. सपा का कहना है कि टवीट में जो दिख रहा है. उस तरह की बात नहीं है. यह सपा के साथ मजबूती से खड़े मुसिल्म समाज को बांटने की रणनीति है. जिसमें बसपा केंद्र की भाजपा सरकार का मोहरा बन रही है.
सपा के एक नेता ने कहा कि मुसलिमों को अपनी हार की वजह बताने वाली मायावती आखिर इतनी मुसलिम हितैषी कैसे हो गईं. वह खुले तौर पर आजम खान का विरोध करती रही हैं. ऐसे में रातों—रात उनका हृदय परिवर्तन कैसे हो गया. इसकी दो वजह है. एक, वह केंद्रीय एजेंसियों के डर से भाजपा के खिलाफ नहीं जाना चाहती हैं. दो, बसपा सुप्रीमों के इन टवीट के पीछे भाजपा की रणनीति है. जो नहीं चाहती है कि मुसलिम समाज सपा के साथ रहे. वह चाहती है कि इसमें टूट—फूट हो. जिससे सपा कमजोर हो और भाजपा को और अधिक मजबूत बनने का अवसर हासिल हो. हालांकि मायावती के टवीट पर आजम खान के परिवार की ओर से कोई बयान नहीं आया है. लेकिन यह माना जा रहा है कि मायावती ने सही समय पर यह टवीट किया है. इससे मुसलिम वर्ग में उनको अपनी पार्टी की बढ़त बनाने में सहायता मिल सकती है. एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह देखना रोचक होगा कि टवीट के बाद क्या मायावती जेल में आजम खान से मिलने जाती हैं. उससे उप्र की राजनीति के नए समीकरण स्पष्ट हो सकते हैं.
]]>इनकम टैक्स विभाग ने अपने सभी अधिकारियों को निर्देश दिया है कि उनके पास विभिन्न जांच एजेंसियों से आने वाले अनुरोधों पर पंद्रह दिन के अंदर जवाब दिया जाए. इसका उददेश्य विभिन्न मामलों की जांच को तेजी प्रदान करने के साथ ही विभिन्न एजेंसियों के साथ संबंधों को बेहतर बनाना है.
आयकर विभाग हर साल अपने अधिकारियों के लिए वार्षिक एक्शन प्लान बनाता है. यह निर्देश उसी का हिस्सा है. इसमें यह कहा गया है कि सीबीआई, पुलिस, प्रवर्तन निर्देशालय, सेबी के साथ ही सीरियस फ्रॉड इंवेस्टीगेश्न आफिस की ओर से जब भी किसी मामले की जांच के लिए कोई ब्यौरा मांगा जाए. उस समय बिना किसी देरी के संंबंधित आयकर संबंधी ब्यौरा इन एजेंसियों को दिया जाए.
यह माना जा रहा है कि विभिन्न राज्य पुलिस बल और कई बार सीबीआई, सेबी की ओर से भी सामने आने वाली शिकायतें जिसमें कहा जाता है कि आयकर विभाग उनको समय से जानकारी नहीं देता है. यह निर्देश उसी शिकायत से निपटने की कवायद है. आयकर विभाग यह चाहता है कि किसी मामले की देरी के लिए उसको जिम्मेदार न ठहराया जाए.
आयकर विभाग ने इसके लिए साथ ही अपने अधिकारियों को यह निर्देश भी दिए हैं कि ऐसी जब्त संपत्ति जो जारी की जानी है. उनको 30 जून तक चिन्हित कर उनकी सूची जमा कराएं. एक अधिकारी ने कहा कि आयकर विभाग हर साल अपने अधिकारियों को यह बताता है कि उसे अगले साल क्या करना है. उसके लक्ष्य क्या है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए नीति क्या रहनी चाहिए. इस निर्देश में कहा गया है कि आयकर विभाग के पास 31 मार्च तक आए सभी आवेदन पर 15 मई तक जानकारी साझा की जाए. इसके अलावा 1 अप्रैल के बाद आए सभी जानकारी मांगने संबंधी सभी आवेदन पर 15 दिन के अंदर जानकारी दी जाए.
आयकर विभाग देश के दस विभागों के साथ आयकर से संबंधित डाटा को साझा करता है. यह कार्य नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड, नेटग्रिड, के माध्य से किया जाता है. जिन विभागों के साथ यह साझा की जाती है. उसमें आईबी, सीबीआई, डीआरआई, गुप्तचर ब्यूरो, सीबीआईसी और जीएसटी विभाग शामिल हैं. एक अधिकारी ने कहा कि विभिन्न एजेसियों के साथ डाटा साझा करने का उददेश्य यह है कि इन एजेंसियों को समय से डाटा मिल जाए. जिससे वे कानूनी परिधि में कार्य करते रहें.
]]>चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के एक टवीट ने देश की राजनीति में नई बहस शुरू कर दी है. हाल ही तक कांग्रेस में जाने के लिए उसके नेतृत्व के साथ मोल—भाव में जुटे प्रशांत किशोर ने संकेत दिए हैं कि वह अपना नया राजनीतिक दल बना सकते हैं. उन्होंने सोमवार को एक टवीट करते हुए कहा कि जनता के बीच जाने का समय आ गया है. इसकी शुरूआत बिहार से होगी. कांग्रेस के साथ अपनी बातचीत के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा था कि देश के इस सबसे प्राचीन राजनीतिक दल को बिहार में अकेले ही चुनाव लड़ना चाहिए. यही नहीं, इससे पहले वह बिहार में लोगों से मिलने का एक बड़ा कैंपेन भी चला चुके हैं. प्रशांत किशोर की ओर से किसी बड़े ऐलान की सभी प्रतीक्षा कर रहे थे. उन्होंने स्वयं कहा था कि वे 2 मई को अपनी भावी रणनीति को लेकर बड़ी घोषणा करेंगे. उनसे जुड़े सूत्रों के मुताबिक वह अब 5 मई को अपनी नई रणनीति का विधिवत खुलासा करेंगे. जिसमें वह बताएंगे कि उनके सुराज का मतलब क्या है. वह इसके लिए क्या कदम उठाने वाले हैं.
जनता को असली मालिक करार देते हुए उन्होंने अपने टवीट में कहा कि लोकतंत्र में प्रभावशाली योगदान देने की उनकी भूख और लोगों के प्रति कार्य नीति तैयार करने में मदद करने का सफर काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है. उन्होंने आगे लिखा कि जब वह अपने जीवन के पन्नों को आज पलटते हैं तो ऐसा लगता है कि देश के असली मालिकों के बीच जाने का समय आ गया है. उनको लगता है कि वह लोगों के बीच जाएं. जिससे उनकी समस्याओं को वह बेहतर तरीके से समझ पाएं और जन सुराज के पथ पर आगे बढ़ पाएं.
अपने टवीट में उन्होंने लिखा कि उनकी लोकतंत्र में सार्थक भागीदार बनने की यात्रा के 10 वर्ष पूरे हो गए हैं. अब जन सुराज के मार्ग पर जाने का समय आ गया है. उन्होंने टवीट में लिखा कि शुरूआत बिहार से. हालांकि उन्होंने अपनी पार्टी का नाम नहीं बताया है. लेकिन माना जा रहा है कि उनकी पार्टी का नाम जन—सुराज हो सकता है. यह माना जा रहा है कि उनकी पार्टी तकनीक आधारित होगी. जिसमें जनता के डाटा के आधार पर वह अपनी स्वयं की पार्टी के लिए ही रणनीति बनाएंगे. उनका ध्यान युवाओं पर केंद्रीत हो सकता है. यह भी कहा जा रहा है कि वह लंबे समय से बिहार में लोगों से मिल रहे थे. वह स्वयं भी मूल रूप से बिहार से हैं. यहां पर वह भाजपा और जदयू के लिए रणनीति बना चुके हैं. ऐसे में अपने गृह प्रदेश को वह बेहतर तरीके से समझते हैं. यही वजह है कि उन्होंने यहां से शुरूआत की बात की है. यह भी चर्चा है कि वह 2024 के आम चुनाव के दौरान अपनी पार्टी लांच कर सकते हैं.
संयुक्त् राष्ट्र में काम कर चुके प्रशांत किशोर देश के कई क्षेत्रीय दलों के लिए रणनीति बनाने के साथ ही कांग्रेस और भाजपा के लिए भी चुनावी रणनीति बना चुके हैं. उनको राष्ट्रीय स्तर पर पहचान वर्ष 2014 के आम चुनाव में मिली थी. जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करते हुए भाजपा के लिए रणनीति बनाई थी. इसके उपरांत वह कई क्षेत्रीय दलों के लिए भी रणनीति बनाने के लिए विख्यात हुए. इस बीच कांग्रेस में औपचारिक रूप से जाने को लेकर उनकी दो बार कांग्रेस नेतृत्व से बात हुई. लेकिन दोनों ही बार यह वार्ता असफल हो गई. इसकी वजह यह बताई जा रही है कि कांग्रेस के पुराने नेता नहीं चाहते हैं कि प्रशांत किशोर कांग्रेस में आएं. यही वजह है उन्होंने शर्त लगा दी कि कांग्रेस में आने के बाद वह किसी अन्य दल के लिए चुनावी रणनीति नहीं बना पाएंगे. उनको महासचिव रणनीति और गठबंधन जैसा पद देने से कांग्रेस में विद्रोह हो जाएगा. उनके विरोध की वजह से प्रशांत किशोर ने कांग्रेस में जाने की रणनीति से यूटर्न ले लिया.
]]>कांग्रेस ने अनुशासनहीनता के आरोप में पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व सांसद सुनील जाखड़ के साथ ही केरल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री केवी थॉमस के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है. पार्टी की अनुशासन समिति ने इन दोनों ही नेताओं को दो साल के लिए पार्टी से निलंबित करने की अनुशंसा की है. इस मामले में अंतिम फैसला पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी लेंगी. सुनील जाखड़ पंजाब चुनाव के दौरान लगातार तत्कालीन मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ हमलावर बने हुए थे. उन पर यह आरोप भी लगाया गया था कि उन्होंने दलित समाज से आने वाले चन्नी के साथ ही समस्त दलित समाज को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की है. वहीं, केवी थॉमस ने पार्टी निर्देशों को अनदेखा करते हुए सीपीआईएम के राष्ट्रीय अधिवेशन में हिस्सा लिया था. उनका कहना था कि जब स्वयं पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी वामपंथी दलों के साथ गठबंधन करने के साथ ही उनके मंचों पर जाते रहे हैं तो उनको इससे क्यों मना किया जा रहा है. उन्होंने कहा था कि वह सीपीआईएम के अधिवेशन में वक्ता की हैसियत से जा रहे हैं. यह पार्टी पर निर्भर करता है कि वह उनके खिलाफ क्या कार्रवाई करती है. वह अपने फैसले से पीछे नहीं होंगे.
इन दोनों नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा के लिए कांग्रेस ने पार्टी के वरिष्ठ नेता एके एंटोनी के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय समिति गठित की थी. इसमें तारिख अनवर, जेपी अग्रवाल, जी परमेश्वर, अंबिका सोनी शामिल थीं. मंगलवार को इस समिति की बैठक हुई. जिसमें यह फैसला किया गया कि पार्टी के नियमों और अनुशासन की अवेहलना करने वाले इन दोनों नेताओं को पार्टी के सभी पदों से मुक्त करते हुए दो साल के लिए पार्टी से निलंबित किया जाए. मंगलवार को हुई बैठक में हालांकि अंबिका सोनी उपस्थित नहीं थी. अनुशासन समिति की इस सिफारिश के आने के बाद सुनील जाखड़ ने कहा कि वह कांग्रेस को अपनी शुभकामनाएं देते हैं. कांग्रेस की इस अनुशासन समिति ने मेघालय में उन पांच विधायकों के खिलाफ भी कार्रवाई की अनुशंसा की है. जो पार्टी निर्देशों को धत्ता बताते हुए मेघालय डेमोक्रेटिक एलायंस में शामिल हो गए हैं.
यह पहले से ही तय माना जा रहा था कि जाखड़ और थॉमस के खिलाफ कार्रवाई होगी. इन दोनों नेताओं को कारण बताओं नोटिस भी जारी किया गया था. थॉमस ने तो इसका जवाब दिया था. लेकिन सुनील जाखड़ ने इसका जवाब तक नहीं दिया था. उनका कहना था कि पंजाब चुनाव ने यह साबित कर दिया कि वह सही थे. उन्होंने कहा था कि चन्नी कांग्रेस के लिए बोझ बन जाएंगे. उनके नेतृत्व में पार्टी राज्य में चुनाव बुरी तरह हारेगी. यह अंतत: सच हुआ है. उनकी बात सही साबित हुई है. ऐसे में वह कोई जवाब क्यों दें. मंगलवार को अनुशासन समिति की बैठक से पहले इसको लेकर किये गए एक सवाल में जवाब में उन्होंने कहा कि आज सिर उनके कलम होंगे, जिनमें जमीर बाकी है. यह माना जा रहा है कि थॉमस सीपीआईएम की सदस्यता ग्रहण कर लेंगे. उन्हें सीपीआईएम उप—चुनाव में उतारने पर भी विचार कर रही है. थॉमस जिस क्षेत्र से आते हैं. वहां पर उनकी मजबूत पकड़ है. यही वजह है कि तमाम प्रयास के बाद भी वहां पर सीपीआईएम जीत नहीं पाती थी. लेकिन कांग्रेस ने इस बार थॉमस को टिकट ही नहीं दिया था. उसी समय से यह माना जा रहा था कि सीपीआईएम उनको अपने पाले में लाने के लिए कदम उठाएगी.
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