Indian Justice Code – Delhi Aaj Kal https://www.delhiaajkal.com Delhi Ki Awaaz Sat, 23 Dec 2023 06:52:03 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.2 https://i0.wp.com/www.delhiaajkal.com/wp-content/uploads/2022/11/Black-minimalist-michael-vescera-logo.png?fit=32%2C32&ssl=1 Indian Justice Code – Delhi Aaj Kal https://www.delhiaajkal.com 32 32 212602069 There will be fewer sections in the Indian Justice Code instead of the old law. https://www.delhiaajkal.com/there-will-be-fewer-sections-in-the-indian-justice-code-instead-of-the-old-law/ https://www.delhiaajkal.com/there-will-be-fewer-sections-in-the-indian-justice-code-instead-of-the-old-law/#respond Sat, 23 Dec 2023 06:39:48 +0000 https://www.delhiaajkal.com/?p=3272

पुराने कानून की जगह कम धाराएं होंगी भारतीय न्याय संहिता में

इंद्र वशिष्ठ

दिल्ली आजकल ब्यूरो, दिल्ली
21 दिसंबर 2023

भारतीय न्याय संहिता में पुरानी 511 धाराओं की जगह अब केवल 358 धाराएं होंगी. कई अन्य महत्वपूर्ण बदलाव भी किये गए हैं. इसके अलावा अन्य दो कानूनों में भी आमूलचूल पविर्तन किये गए हैं. यहां पर प्रमुख बदलाव की जानकारी को पढ़िये.

भारतीय न्याय संहिता

इसमें 358 धाराएं होंगी  (IPC की 511 धाराओं के स्थान पर)
20 नए अपराधों को जोड़ा गया है.
33 अपराधों में कारावास की सजा को बढ़ाया गया है.
83 अपराधों में जुर्माने की सजा राशि को बढ़ाया गया है.
23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा शुरु की गई है.
6 अपराधों में सामुदायिक सेवा का दंड शुरु किया गया है.
19 धाराएं निरस्त/हटा दी गई हैं.

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता

इसमें 531 सेक्शन होंगे (CrPC की 484 धाराओं के स्थान पर)
कुल 177 प्रोविजन में बदलाव हुआ है.
9 नए सेक्शन, 39 नए सब-सेक्शन जोड़े गए हैं तथा
44 नए प्रोविजन तथा स्पष्टीकरण जोड़े गए है.
35 सेक्शन में टाइमलाइन जोड़ी गई है.
35 जगह पर ऑडियो-विडियो का प्रावधान जोड़ा गया है.
14 धाराएं निरस्त/हटा दी गई हैं.

भारतीय साक्ष्य अधिनियम

इसमें 170 धाराएं होंगी (मूल 167 धाराओं के स्थान पर)
कुल 24 धाराओं में बदलाव किया गया है.
2 नई धारा, 6 उप-धाराएँ जोड़ी गई हैं तथा
6 धाराएँ निरस्त/हटा दी गई हैं.

भारतीय न्याय संहिता

प्रमुख फीचर भारतीय जरूरतों के अनुसार प्राथमिकता ( प्रायोरिटी).
ब्रिटिश शासन को मानव-वध या महिलाओं पर अत्याचार से महत्त्वपूर्ण राजद्रोह और खजाने की रक्षा थी.
इन तीन कानूनों में महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराधों, हत्या और राष्ट्र के विरुद्ध अपराधों को प्रमुखता दी गई है.
इन कानूनों की प्राथमिकता ( प्रायोरिटी) भारतीयों को न्याय देना है. उनके मानवाधिकारों की रक्षा करना  है.

महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध-

भारतीय न्याय संहिता ने यौन अपराधों से निपटने के लिए ‘महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध’ नामक एक नया अध्याय पेश किया है. इस विधेयक में 18 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के बलात्कार से संबंधित प्रावधान (प्रोविजन) में बदलाव का प्रस्ताव कर रहा है. नाबालिग महिलाओं के सामूहिक बलात्कार को पॉक्सो के साथ सुसंगत बनाता है.

18 वर्ष से कम आयु की बच्चियों के मामले में आजीवन कारावास या मृत्यु दण्‍ड का प्रावधान किया गया है.
गैंगरेप के सभी मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास का प्रावधान.
18 वर्ष से कम उम्र की लड़की/ स्‍त्री के साथ सामूहिक बलात्कार की एक नयी अपराध केटेगरी.
धोखे से यौन संबंध बनाने या विवाह करने के सच्‍चे इरादे के बिना विवाह करने का वादा करने वाले व्यक्तियों के लिए लक्षित दंड का प्रावधान करता है.

 आतंकवाद-
भारतीय न्याय संहिता में पहली बार टेररिज्म की व्याख्या की गई है. इसे दंडनीय अपराध बना दिया गया है.
व्याख्या : भारतीय न्याय संहिता खंड 113. (1) “जो कोई, भारत की एकता, अखंडता, संप्रभूता, सुरक्षा या आर्थिक सुरक्षा या प्रभुता को संकट में डालने या संकट में डालने की संभावना के आशय से या भारत में या किसी विदेश में जनता अथवा जनता के किसी वर्ग में आतंक फैलाने या आतंक फैलाने की संभावना के आशय से बमों, डाइनामाइट, विस्फोटक पदार्थों, अपायकर गैसों, न्यूक्लीयर का उपयोग करके ऐसा कार्य करता है. जिससे, किसी व्यक्ति या व्यक्तियों की मृत्यु होती है, संपत्ति की हानि होता है, या करेंसी के निर्माण या उसकी तस्करी या परिचालन तो वह आतंकवादी कार्य करता है.
आतंकी कृत्‍य मृत्‍युदंड या आजीवन कारावास के साथ दंडनीय है. जिसमें पैरोल नहीं होगा.
आतंकी अपराधों की एक श्रृंखला भी पेश की गई है.
सार्वजनिक सुविधाओं या निजी संपत्ति को नष्ट करना अपराध है.
ऐसे कृत्यों को भी इस खंड के तहत शामिल किया गया है. जिनसे ‘महत्वपूर्ण अवसंरचना की क्षति या विनाश के कारण व्यापक हानि’ होती है.

संगठित अपराध (ऑर्गनाइज्ड क्राइम)

संगठित अपराध से संबंधित एक नई दांडिक धारा जोड़ी गई है.
भारतीय न्याय संहिता 111. (1) में पहली बार संगठित अपराध की व्याख्या की गई है.
सिंडिकेट से की गई विधिविरुद्ध गतिविधि को दंडनीय बनाया है.
नए प्रावधानों में सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियां, अलगाववादी गतिविधियां अथवा भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य को जोड़ा गया है.
छोटे संगठित अपराधों को भी अपराध घोषित किया गया है. जिसके लिए 7 साल तक की कैद हो सकती है. इससे संबंधित प्रावधान खंड 112 में हैं.

आर्थिक अपराध की व्याख्या भी की गई है : करेंसी नोट, बैंक नोट और सरकारी स्टापों का हेरफेर, कोई स्कीम चलाना या किसी बैंक/वित्तीय संस्था में गड़बड़ ऐसे कृत्य शामिल है.
संगठित अपराध में, किसी व्यक्ति की मृत्यु हो गई है, तो आरोपी को मृत्यु दंड या आजीवन कारावास की सजा
जुर्माना भी लगाया जाएगा, जो 10 लाख रुपये से कम नहीं होगा.
संगठित अपराध में सहायता करने वालों के लिए भी सजा का प्रावधान किया गया है.

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Criminal laws of the British era changed, now Indian Justice Code will be applicable instead of IPC. https://www.delhiaajkal.com/criminal-laws-of-the-british-era-changed-now-indian-justice-code-will-be-applicable-instead-of-ipc/ https://www.delhiaajkal.com/criminal-laws-of-the-british-era-changed-now-indian-justice-code-will-be-applicable-instead-of-ipc/#respond Sat, 23 Dec 2023 06:23:17 +0000 https://www.delhiaajkal.com/?p=3268

अंग्रेजों के जमाने के आपराधिक कानून बदल गए, आईपीसी की जगह अब लागू होगी भारतीय न्याय संहिता

इंद्र वशिष्ठ

दिल्ली आजकल ब्यूरो, दिल्ली
21 दिसंबर 2023

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने 21 दिसंबर को राज्य सभा में भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 पर चर्चा का जवाब दिया. सदन ने चर्चा के बाद तीनों विधेयकों को पारित कर दिया. लोक सभा ने बुधवार, 20 दिसंबर 2023 को इन विधेयकों को पारित कर दिया था.

क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में नए युग की शुरूआत

चर्चा का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि संसद से ये तीनों विधेयक पारित होने पर भारत के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में एक नए युग की शुरूआत होगी. जो पूर्णतया भारतीय होगा. उन्होंने कहा कि इन तीनों कानूनों को वर्ष 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेज़ों के शासन की रक्षा के लिए बनाया गया था और इनमें कहीं भारतीय नागरिकों, उनके सम्मान, मानवाधिकारों की सुरक्षा और निर्बल को संरक्षण देने की व्यवस्था नहीं थी.  पुराने कानूनों में मानव वध और महिला के साथ दुर्व्यवहार को प्राथमिकता न देकर खज़ाने की रक्षा, रेलवे की रक्षा और ब्रिटिश ताज की सलामती को प्राथमिकता दी गई थी. उन्होंने कहा कि आज प्रस्तुत इन तीनों विधेयकों का उद्देश्य दंड देना नहीं बल्कि न्याय देना है. उन्होंने कहा कि भारतीय आत्मा वाले इन तीन कानूनों से पहली बार हमारी आपराधिक न्यायिक प्रणाली भारत द्वारा, भारत के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाए गए सिस्टम से गवर्न होगी.

150 साल पुराने कानूनों में परिवर्तन

चर्चा का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि  आपराधिक न्याय प्रणाली को चलाने वाले लगभग 150 वर्ष पुराने तीनों कानूनों में पहली बार भारतीयता, भारतीय संविधान औऱ भारत की जनता की चिंता करने वाले परिवर्तन किए गए हैं.  1860 में बने भारतीय दंड संहिता का उद्देश्य न्याय देना नहीं बल्कि दंड देना था.  अब उसकी जगह भारतीय़ न्याय संहिता, 2023, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और इंडियन एवीडेंस एक्ट, 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 इस सदन की मान्यता के बाद पूरे देश में अमल में आएंगे. उन्होंने कहा कि भारतीय आत्मा के साथ बनाए गए इन तीन कानूनों से हमारे क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा. मानव हत्या और महिला सुरक्षा की दिशा में न्याय नहीं, बल्कि अंग्रेजों के खजाने और ब्रिटिश ताज की रक्षा ही पुराने कानून की प्राथमिकता थी. इन तीन कानूनों में महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराधों, हत्या और राष्ट्र के विरुद्ध अपराधों को प्रमुखता दी गई है.

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