general elections – Delhi Aaj Kal https://www.delhiaajkal.com Delhi Ki Awaaz Thu, 28 Dec 2023 10:50:36 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.2 https://i0.wp.com/www.delhiaajkal.com/wp-content/uploads/2022/11/Black-minimalist-michael-vescera-logo.png?fit=32%2C32&ssl=1 general elections – Delhi Aaj Kal https://www.delhiaajkal.com 32 32 212602069 Congress is looking for an issue instead of a face to contest against Prime Minister Narendra Modi in the general elections. https://www.delhiaajkal.com/congress-is-looking-for-an-issue-instead-of-a-face-to-contest-against-prime-minister-narendra-modi-in-the-general-elections/ https://www.delhiaajkal.com/congress-is-looking-for-an-issue-instead-of-a-face-to-contest-against-prime-minister-narendra-modi-in-the-general-elections/#respond Thu, 28 Dec 2023 10:50:33 +0000 https://www.delhiaajkal.com/?p=3410

आम चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुकाबला के लिए चेहरा की जगह मुददा तलाश रही है कांग्रेस

दिल्ली आजकल ब्यूरो, दिल्ली
26 दिसंबर 2023

आम चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीके सामने किसी एक खास चेहरे की जगह कांग्रेस एक या दो बड़े मुददे की तलाश कर रही है. उसने इंडिया गठबंधन के दलो को भी कहा है कि फेस की जगह बेस तलाश करना चाहिए. हालांकि विभिन्न राज्यो में वहां के स्थानीय नेता पोस्टर ब्यॉय रहेंगे. लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस एक बड़ा मुददा खड़ा करना चाहती है.

सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस का यह प्रयास है कि वह ऐसे किसी मुददे की तलाश करे. जिसका सबसे अधिक असर उत्तर और पूर्वी भारत में हो. वह हिंदी पटटी में असरदार रहने वाले मुददे को अपनाना  चाहती है. इसकी वजह यह है कि हिंदी भाषी राज्ये में प्रधानमंत्री मोदी को अब भी बढ़त मिलती दिख रही है.

कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि सभी सहयोगी दलों को यह बताया गया है कि वे अपनी सीटों की पहचान के साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर असरदार रहने वाले मुददों की भी तलाश करें. यह मुददा परंपरागत बिजली—पानी—सड़क या बेरोजगारी से अधिक प्रभावी हो. यह कहा जा रहा है कि कांग्रेस को लगता है कि चुनाव को मोदी बनाम कांग्रेस बनाना उचित नहीं होगा. इसकी जगह अगर भाजपा को मुददों पर बहस के लिए घेरने में सफलता मिलती है तो उसका बड़ा लाभ होगा. कांग्रेस के रणनीतकारों का मानना है कि हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक के चुनाव ने यह साबित किया है कि मुददों के सामने आने पर भाजपा के लिए प्रधानमंत्री मोदी का चेहरा भी बे—असर साबित होता है.

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Challenge of remaining neutral before regional parties in general elections https://www.delhiaajkal.com/challenge-of-remaining-neutral-before-regional-parties-in-general-elections/ https://www.delhiaajkal.com/challenge-of-remaining-neutral-before-regional-parties-in-general-elections/#respond Sat, 14 Oct 2023 17:59:28 +0000 https://www.delhiaajkal.com/?p=2917

आम चुनाव में क्षेत्रीय दलों के सामने तटस्थ बने रहने की चुनौती

विनय कुमार

दिल्ली आजकल ब्यूरो, दिल्ली
12 अगस्त 2023

आम चुनाव 2024 को लेकर तेज होती हलचल के बीच क्षेत्रीय और छोटे दलों के लिए तटस्थ बने रहना मुश्किल होता दिख रहा है. जिस तरह से एनडीए और इंडिया गठबंधन अपना कुनबा बढ़ाने में जुटे हुए हैं. उससे क्षेत्रीय दलों के सामने अकेले रहकर इन दोनों बड़े गठबंधन का सामना करना चुनौती बनता जा रहा है. यही वजह है कि कुछ समय पहले तक जो क्षेत्रीय दल स्वयं को गठबंधन की राजनीति से अलग रखने का दावा कर रहे थे. वे क्षेत्रीय दल भी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इन गठबंधनों के साथ खड़े होते दिख रहे हैं.

आम आदमी पार्टी ने यह दावा किया था कि वह कांग्रेस के साथ नहीं जाएगी. लेकिन जब उसने देखा कि देश के तमाम क्षेत्रीय दल कांग्रेस के नेतृत्व में एक मजबूत गठबंधन बनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं. ऐसे में उसने भी दिल्ली सेवा बिल पर समर्थन के बहाने कांग्रेस के साथ नजदीकी बढ़ाने का अवसर तलाश लिया. इस समय कांग्रेस और आम आदमी के बीच वैचारिक दूरी भी कम होती दिख रही है. दोनों ही दल एक दूसरे के लिए मजबूती से आवाज उठाते दिख रहे हैं. इसी तरह से एनडीए और कांग्रेस नीत गठबंधन से दूरी बनाने का दावा करने वाले बीआरएस के संस्थापक और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव भी इंडिया गठबंधन की ओर झुकते हुए नजर आ रहे हैं. हालांकि उन्होंने औपचारिक रूप से इस गठबंधन से नाता नहीं जोड़ा है. लेकिन जिस तरह से वह सरकार के खिलाफ विभिन्न नीतियों पर इंडिया गठबंधन की तरह ही लाइन ले रहे हैं. उससे यह संकेत मिलता है की देर सवेर वह भी इंडिया गठबंधन में शामिल हो सकते हैं.

वहीं दूसरी ओर , वाईएसआर कांग्रेस पार्टी- तेलुगु देशम पार्टी और बीजू जनता दल भाजपा नीत एनडीए गठबंधन की ओर बढ़ते हुए नजर आते हैं. बीजू जनता दल ने तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से प्रस्तुत तीन नए कानूनों के समर्थन में जिस तरह से अपना पक्ष रखा. उसे अपना भरपूर समर्थन दिया. उससे यह संकेत मिलते हैं कि आम चुनाव के दौरान भले ही बीजू जनता दल और भाजपा अलग चुनाव लड़े. लेकिन चुनाव के बाद अगर जरूरत हुई तो भाजपा नीत एनडीए को बीजू जनता दल का समर्थन मिलना निश्चित है. इसी तरह से वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने भी खुले रूप में भाजपा को अपना समर्थन देना शुरू कर दिया है. जिससे यह संकेत मिलते हैं कि वह नहीं चाहती है कि राज्य में तेलुगू देशम के साथ भाजपा का कोई गठबंधन हो. उसे डर है कि अगर तेलुगू देशम पार्टी एनडीए में चली जाती है तो उसे राज्य में इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है. तेलुगू देशम को एनडीए जैसे बड़े गठबंधन की ताकत हासिल हो सकती है. जिससे हाशिए पर जाती तेलुगू देशम को नया जीवन मिल सकता है. इसके अलावा उसे यह डर भी है कि अगर तेलुगू देशम पार्टी एनडीए का हिस्सा हो जाती है. ऐसे में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को इस समय केंद्र सरकार से राज्य की विभिन्न योजनाओं के लिए जो आर्थिक सहायता मिल रही है. उसमें भी बाधा आ सकती है. जिसका वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की राजनीतिक स्थितियों पर विपरीत असर पड़ सकता है. यही वजह है कि उसने खुलकर एनडीए का साथ देना शुरू कर दिया है. इससे भाजपा के पास आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम और वाईएसआर कांग्रेस के रूप में दो विकल्प उपलब्ध हो गए हैं. भाजपा अपनी सुविधा और लाभ के लिहाज से इनमें से किसी एक दल का चुनाव कर सकती है.

इधर, तेलुगू देशम पार्टी भी इस प्रयास में लगी है कि वह एनडीए का हिस्सा हो जाए. उसे यह उम्मीद है कि ऐसा होने पर उसे एनडीए की ताकत मिलेगी. जिससे वह राज्य में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के खिलाफ फिर से एक बड़ी ताकत बनकर सामने आ पाएगी. यहां यह भी उल्लेखनीय है कि उसने खुले तौर पर भाजपा के साथ जाने को लेकर इनकार नहीं किया है. इसी तरह से संसद में वोटिंग के दौरान अनुपस्थित रहकर राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी ने भी अपने विकल्प खुले रखने का संकेत दिया है. यह माना जा रहा है कि राष्ट्रीय लोक दल इस समय वर्तमान परिस्थितियों का आकलन कर रही है. जिसके आधार पर वह आने वाले समय में इन दोनों बड़े गठबंधन में से बेहतर को चुनने का निर्णय कर पाए. यह कहा जा रहा है कि रालोद संभवत एनडीए को चुन सकता है. हालांकि जयंत चौधरी ने फिलहाल अपने पत्ते नहीं खोले हैं. इन दलों के अलावा शिरोमणि अकाली दल के सामने भी पंजाब में अपना अस्तित्व बचाए रखने की चुनौती बनी हुई है. उसके सामने यह समस्या है कि अगर वह इंडिया गठबंधन के साथ जाती है तो पंजाब में उसका जनाधार पूरी तरह से खत्म होने का संकट उत्पन्न हो सकता है. ऐसे में उसके सामने केवल एनडीए में शामिल होने या फिर अकेले चुनाव लड़ने का विकल्प बचता है. यह माना जा रहा है कि देर सवेर अकाली दल भी एनडीए का दामन थाम सकता है. अकाली दल लंबे समय तक एनडीए का साथी रहा है. किसान आंदोलन के समय वह एनडीए गठबंधन से अलग हो गया था.

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Congress appointed Ajay Maken as Treasurer, gave a big message by giving him a big responsibility before the general elections https://www.delhiaajkal.com/congress-appointed-ajay-maken-as-treasurer-gave-a-big-message-by-giving-him-a-big-responsibility-before-the-general-elections/ https://www.delhiaajkal.com/congress-appointed-ajay-maken-as-treasurer-gave-a-big-message-by-giving-him-a-big-responsibility-before-the-general-elections/#respond Mon, 02 Oct 2023 02:06:13 +0000 https://www.delhiaajkal.com/?p=2773

अजय माकन को कांग्रेस ने बनाया कोषाध्यक्ष , आम चुनाव से पहले बड़ी जिम्मेदारी देकर दिया बड़ा संदेश

दिल्ली आजकल ब्यूरो, दिल्ली
1 अक्टूबर 2023

कांग्रेस ने आम चुनाव से पहले बड़ा ऐलान किया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पूर्व खेल मंत्री और दिल्ली विधानसभा के पूर्व स्पीकर अजय माकन को कांग्रेस का नया कोषाध्यक्ष नियुक्त किया है. उन्हें पवन कुमार बंसल की जगह यह जिम्मेदारी दी गई है. पवन कुमार बंसल के पास अब केवल पार्टी कार्यालय के प्रशासन का कार्य ही रहेगा. अजय माकन को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का करीबी और विश्वासपात्र भी माना जाता है. अजय माकन को राहुल गांधी अपनी टीम का सक्रिय सदस्य मानते हैं. ऐसे समय में जब टीम राहुल गांधी में शामिल माने जाने वाले आरपीएन सिंह, जितिन प्रसाद और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का हाथ छोड़ते हुए भाजपा का दामन थाम लिया. उस समय भी तमाम दबाव और भाजपा छोड़ने वाले इन नेताओं के लगातार संपर्क करने के बाद भी अजय माकन कांग्रेस में ही बने रहे. उन्होंने साफ कहा कि वह राहुल गांधी को छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे. इसके लिए चाहे उन्हें कोई भी कीमत चुकानी पड़े.

अजय माकन को कोषाध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने एक बार फिर यह संदेश दिया है कि वह पार्टी नेतृत्व के करीबी और विश्वासपात्र हैं. आम चुनाव से पहले उनको कोषाध्यक्ष का पद देने का यह मतलब भी निकाला जा रहा है कि पार्टी के संसाधन को सही तरीके से खर्च करने के लिए कांग्रेस नेतृत्व ने अपने सबसे विश्वासपात्र व्यक्ति को चुना है. इस समय कांग्रेस के पास संसाधनों की कमी है. यही वजह है कि आम चुनाव के लिए इस समय संसाधन जुटाना कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती दिख रही है. ऐसे में अजय माखन की भूमिका यहां काफी महत्वपूर्ण रहने वाली है.

अजय माकन दिल्ली विधानसभा में तीन बार विधायक रह चुके हैं. इसके अलावा वह दिल्ली सरकार में मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के सबसे करीबी और विश्वासपात्र मंत्री भी रहे हैं. उनके पास यातायात, पर्यावरण सहित कई प्रमुख विभागों का दायित्व रहा है. अजय माकन के कार्यकाल में ही दिल्ली के अंदर सार्वजनिक परिवहन को सीएनजी से चलाने का बड़ा कार्य किया गया था. हालांकि यह कदम सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उठाया गया था. लेकिन जिस तरह से अजय माकन ने इसको व्यवस्थित तरीके से लागू करते हुए एक सुचारु व्यवस्था में बदला था. उसकी देश ही नहीं, दुनिया भर में प्रशंसा हुई थी. इसकी वजह यह थी कि दिल्ली दुनिया का पहला ऐसा शहर बन गया था. जहां सार्वजनिक परिवहन प्रणाली पूरी तरह से सीएनजी पर चलने लगी थी. केंद्र में मनमोहन सिंह सरकार बनने के बाद भी अजय माकन पर कांग्रेस का यह भरोसा कायम रहा. वह दो बार लोकसभा सांसद रहे. इस दौरान वह मंत्री भी बनाए गए. उन्हें दिल्ली में सीलिंग के दौरान शहरी विकास राज्य मंत्री बनाया गया था. उनके प्रयासों के बाद ही दिल्ली की सड़कों में मिक्स लैंड यूज की नीति लागू हुई थी. जिससे दिल्ली के लाखों कारोबारियों को गली मोहल्लों में दुकान चलाने का कानूनी अधिकार मिल पाया था. इसके साथ ही मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल में ही वह केंद्रीय गृह राज्य मंत्री भी बनाए गए थे. वहां पर भी उनका कार्य काफी उल्लेखनीय रहा था. वह उस समय उन चुनिंदा मंत्रियों में शामिल थे. जो राज्य मंत्री होते हुए भी पूर्वोत्तर से लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में जाकर व्यक्तिगत दौरा करते थे और जमीनी रिपोर्ट हासिल करते थे. मनमोहन सिंह सरकार में इसके उपरांत उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा देते हुए खेल मंत्री बनाया गया था. उनके कार्यकाल में ही खेलों को बढ़ावा देने के लिए बड़ी नीति का ऐलान किया गया था. स्टेडियम में सभी को खेलों में प्रवेश देने के लिए भी नीति तैयार की गई थी. उनके कार्यकाल के दौरान ही स्टेडियमों के कायाकल्प का भी कार्य किया गया था.

अपने छात्र जीवन से ही कांग्रेस के साथ जुड़ने वाले अजय माकन दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के भी अध्यक्ष रह चुके हैं. वह दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. उनकी यह खासियत रही है कि वह हमेशा दूसरी और तीसरी पंक्ति के नेताओं को तैयार करते रहे हैं. जिससे कांग्रेस के संगठन को भी मजबूती मिलती रही है. दिल्ली के हर विधानसभा में उनके कार्यकाल के दौरान नियुक्त किए गए नेताओं की एक लंबी सूची है. उन्हें दिल्ली में कांग्रेस के अंदर मुख्यमंत्री पद का निर्विवाद चेहरा माना जाता रहा है. इस समय भी दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ सबसे मुखर तरीके से मोर्चा खोलने वाले नेताओं में वह शामिल हैं. हाल ही में सीबीआई ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास में सौंदर्यीकरण में अनियमत्ताओं को लेकर जांच शुरू की है. इस मामले को भी सबसे पहले उठाने वालों में अजय माखन ही शामिल रहे थे. इसके उपरांत इस मुद्दे को भाजपा ने भी उठाया था.

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